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Thursday 16 July 2009

दिल कहता था चल उस से मिल ....

मैं याद तुझे ना करता पर दिल पर मेरा ज़ोर ना था
दो आंसू आँख से टपके थे और सामने तेरा चेहरा था


मैं तेरी क़सम पूरी करता ,बरसात ने पर वो काम किया
दो बूँदें बदन से लिपटी थी और सामने तेरा चेहरा था


मैं खुश था साहिल पर आकर मैं था और तन्हाई थी
इक हुस्न ने ली वो अंगडाई और सामने तेरा चेहरा था


वो हुस्न भी कुछ अलबेला था और मौसम का क्या हाल कहूं
दिल कहता था चल उस से मिल और सामने तेरा चेहरा था

5 comments:

ओम आर्य said...

aisi baat jab jawa dil ko kabhi koee aisa khubsoorat chehara aisa mil jati hai ....aapane hi aap baharo ka musam aajate hai

mehek said...

मैं तेरी क़सम पूरी करता ,बरसात ने पर वो काम किया
दो बूँदें बदन से लिपटी थी और सामने तेरा चेहरा था

bahut sunder

* મારી રચના * said...

मैं याद तुझे ना करता पर दिल पर मेरा ज़ोर ना था
दो आंसू आँख से टपके थे और सामने तेरा चेहरा था


uss chahre pe jo dard tha
woh main pi raha thaa
shayad ussi dard ke sahare
aaj tak mai jee raha thaa....

only shayyiri... said...

shohrat hi mili hai dekho sada ruswai mein
hum itne bade mahir hai zakhm numaai mein

M VERMA said...

हुस्न की अंगडाई पर मत जाओ मेरे दोस्त
बहुत देर हो चुक़ी है लौट आओ मेरे दोस्त