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Monday 15 February 2010

नज़रें सब कुछ कहती हैं...

कहते हैं कि
नज़रें वह सब कहती हैं जिसे
ज़बान नहीं कह सकती है
उल्फत का इज़हार हो या
फिर दर्द की तस्वीर
नज़र सब कुछ बयां कर देती है
कहते हैं कि
नज़रें वह सब सुन लेती हैं
जो कान नहीं सुन सकते हैं
प्यार का इक़रार हो या
फिर उल्झन की तस्वीर
नज़रें सब कुछ सुन लेती हैं
इसी लिए मैं भी
कुछ दिन से इसी उम्मीद पे हूं
कभी तो सुन लेंगी उसकी नज़रें
मेरी मुहब्बत को मोहतात प्याम
मेरी चाहतों, मेरी उमंगों
मेरे अरमानों मेरी धड़कनों को
कभी तो सुन लेंगी उसकी नज़रें
कभी तो कह देंगी मेरी नज़रें
वह सब कुछ जो मैं
ज़बान से नहीं कह पा रहा हूं