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Sunday 5 July 2009

दुल्‍हन जैसी लगती थी



इक लड़की थी अलबेली सी
हां मस्‍तानी अठखेली सी
प्‍यार भरा चेहरा था उसका
आंखें थी शर्मीली सी
बालों में घटाएं थी जैसे
उड़ती थी और बरसती थीं
खुशबू बदन से फूटती थी
जैसे फूल चमेली सी
चाल में उसकी जाने क्‍या था
आंखें पीछा करती थी
गली से मेरी गुजरती थी
दुनिया जान छिड़कती थी
हम भी देखा करते थे
पाने की दुआएं करते थे
हसरत थी उससे मिलने की
कुछ कहने की कुछ सुनने की
हर रोज उसी दरवाजे से
हम उसको देखा करते थे
था दिल में जो प्‍यार छुपा
कहने से उससे डरते थे
इक वक्‍त हुआ देखा न उसे
शायद अब वो न निकलती थी
इक रोज नजर थी उस पर पड़ी
उफ क्‍या लगती थी क्‍या दिखती थी
कान में झुमका, मांग में अफशां
दुल्‍हन जैसी लगती थी

19 comments:

नीरज गोस्वामी said...

बहुत रूमानी वर्णन है..अच्छा लगा पढ़ कर...
नीरज

प्रकाश गोविंद said...

बहुत दिलकश वर्णन !
खूबसूरती तो आपकी आँखों की भी है, जिन्होंने खूबसूरती को पहचाना !

हार्दिक शुभकामनाएं !

आज की आवाज

Vinay said...

नयी अनुभूति हुई

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चर्चा । Discuss INDIA

ओम आर्य said...

बहुत दिलकश अन्दाज मे वर्णन किया है आपने ख्वाहिशे जब जवान होती है ,और की गहराई मे छिपी बाते इतनी ही सुन्दर होकर बाहर आती है .......अतिसुन्दर

निर्मला कपिला said...

अति सुन्दर कविता भी और तस्वीर भी आभार्

M VERMA said...

उफ क्‍या लगती थी क्‍या दिखती थी
उफ़ चित्र देखकर ही क्या लग रही है --- क्या दिख रही है!!
चित्र और रचना बहुत खूब

पूनम श्रीवास्तव said...

चित्र के साथ आपकी कविता भी अच्छी लगी ..आगे भी लिखते रहिये

Udan Tashtari said...

उम्दा चित्रण!!

Urmi said...

आप मेरे ब्लॉग पर आए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! अब तो मैं आपका फोल्लोवेर बन गई हूँ इसलिए आती रहूंगी! आपने बहुत ही सुंदर कविता लिखा है!

Razia said...

बहुत खूबसूरत सचित्र चित्रण

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....

vikas vashisth said...

बेहतरीन है अंदाज़-ए-बयां रज़ी साहब...
कलम अनंत की ओर बढ़ती रहे...

SomeOne said...

वाकई लाजवाब! हर एक पोस्ट में कमाल किया है

श्रद्धा जैन said...

bahut sunder aur bhola sa varnan hai

bahut achhi nazm

daanish said...

दिल का हाल और खूबसूरत अदायगी
अछि कविता बन पड़ी है
आपकी नाजुक मिज़ाजी भी झलकती है
खुश रहिये

---मुफलिस---

Anonymous said...

आपकी कविताओ में गूढ़ रहस्य छिपा हुआ है. इन्हें समझने में मैं असमर्थ हु....मतलब मैं केवल इन्हें पढ़ पा रहा हु.बहुत अच्छा लिखा है.आपके भविष्य के लिए शुभकामनाये....अमृत

ज्योति सिंह said...

ये लड़की सचमुच सुंदर है जो इतनी सुन्दर रचना को भी जन्म दी .बहुत सुन्दर .

gyaneshwaari singh said...

bhaut sunder rachhna hai yakeenan wo ladki bhi sunder hogi aur ye pic hi bahut sunder lagi iska bada hai kya apke pass ya ayhi hai

badhayee

सुशील छौक्कर said...

भोले से शब्दों से लिखी एक भोली सी रचना। बहुत प्यारी सी लगी आपकी यह रचना। और उतनी सुन्दर फोटो भी लगाई है आपने। आपके ब्लोग पर कई फोटो अच्छी है कहाँ से ली है।