
कहते है पहली बार जो चीज़ मिलती है वो बहुत दिलचस्प लगती है...दूसरे हादसों की तरह ये हादसा भी मेरी जिंदगी में पहली बार हुआ था...पहली बार क्लब में आकर मैं यहां की हर चीज को अपनी यादों की ड़ायरी में कैद कर लेना चाहता था...मैं वहां की हर चीज़ को बहुत गौर से देख रहा था...म्युज़िक की धीमी धीमी तरंग माहौल को खुशनुमां बना रही थी...मै उस वक्त उन ख़्यालों की दुनिया से बाहर आया जब किसी अंजाने गर्म हाथों का लम्स मेरे ठंडे बदन को छू रहा था...शराब के नशे मे मदहोश हसीना कह रही थी ...क्या आप ने उन्हें देखा है...वो मुझे यही लाया करते थे...हाँ उन्हें आदत थी पीने की...जब से मैं उनकी जिंदगी में आई थी उन्हों ने पीना छोड़ दिया था...वो बेसुध होकर बोलो जा रही थी और मैं उसके चेहरे के उतार चढाव देख रहा था ... वो कह रही थी मैं और वो एक साथ यहां आते थे ... वो कुर्सी देख रहे हो ...उस ने इशारे से कोने में पड़ी दो कुर्सियां दिखाइ थी...वो घंटों मेरे चेहरे पर निगाहें जमाए इस शोर-व-गुल से दूर मुझ में समाने की कोशिश करते थे... मैं ने जब से उसे देखा था मेरी निगाहें उस की झील सी आंखों से हटने का नाम नहीं ले रही थीं...इसी लिए मैं सुनना नही चाहता था ..कहीं मेरे बीते पल फिर मुझे सताने न लगें मगर मैं मजबूर था ...यहां तो कोइ भी किसी को भी अपना दर्द सुना सकता था ...मैं ने भी सुनना जारी रखा कुछ तो उस दुस्तूर का लिहाज़ रखते हुए तो कुछ उस टूटे हुए दिल को ख़्याल रखते हुए...मैं उस से कैसे कहता कि
ना छेड़ ऐ हमनशीं कैफियते सहबा के अफसाने
मुझे वो दश्ते खुदफरामोशी के चक्कर याद आते हैं
...अब वो क्या बोल रही थी मुझे कुछ समझ नही आ रहा था...हां उस की हर बात मुझे अपने बीते पलों में ढ़केल रही थी...मैं ने जब से उसे देखा था मेरी निगाहें उस की झील सी आंखों से हटने का नाम नहीं ले रही थीं...मै बार बार उन्हें देख कर अपनी दोस्त को याद कर रहा था...उस के आंखों में जो आंसुओं के मोती झलक रहे थे उसी तरह उस की आंखों में भी होते थे ... हाँ ये लाल ड़ोरे जो इस की दर्द भरी आंखों में अंगडाई ले रहे है उस की आंखों में भी मचलते थे...यही गहराई थी जिस में मैं कई बार ड़ूबा था......आज बहुत दिनों बाद उस का ख्याल आया था दिमाग़ में...वह जाते जाते मुझ से कह गई थी कि मैं उसे याद नहीं करूंगा...लेकिन आज बरसों से निभाया जा रहा वादा टूट चुका था...मैं ने बहुत कोसा था दिल को कि जिसे मैं ने चाहा था मैं उसी के एक वादे की हिफाज़त ना कर सका...शायद इसी वजह से सालों से बनावटी हंसी की आदी आंखे दिल खोल कर रोई थीं...उन आंखों ने फिर मुझे पिला दिया था... और मेरे कदम लडखडा रहे थे...होश बाकी ना था ....और...नाईट क्लब बंद होने के साथ दोस्तो के कंधों का सहारा लेकर रात की सियाही में तन्हा सडक को रौंद रहे थे....