Pages

Monday 29 June 2009

साहिल के साथी का इंतज़ार


क्या तुम जानते हो तुम्हारे इंतज़ार में कितने सूरज डूब गए....... कितने लोग इस साहिल पर आए और घंटों बातें करके चले गए........ पानी की कितनी लहरों ने तुम्हारा नाम ले कर मुझे छेड़ा है......... कितने लोग तुम्हारा नाम लेकर मुझ पर हंस कर अपनी राह लग लिए ....क्या तुम को याद है की कितने देर के लिए तुम यहाँ से गए थे ....... शायद नही ...पर मैं तो अब तक तुम्हारी राह देख रही हूँ ..... काश तुम उन अनदेखे पानियो की तरफ़ से लौट आओ .......शायद समंदर के किनारे रे़त पर बैठी वह लड़की भी दूर से आती लहरों को देख कर यही कुछ सोच रही थी....

6 comments:

ओम आर्य said...

us ladki ke itjaar khatm ho jaye...........aamin

Udan Tashtari said...

बहुत गहरे भाव!

Vinay said...

बहुत बढ़िया, शानदार!

निर्मला कपिला said...

इस उम्र मे इतने गहरे भाव इस उभरते शब्दशिल्पी की कलम को मेरा सलाम और आशीर्वाद्

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत एहसास ..पढना अच्छा लगा..बधाई

सुशील छौक्कर said...

गहरे जज्बात। फोटो किस साईट से लाते है आप।