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Sunday 21 June 2009

किसी का साथ...हर किसी की चाहत


तन्हाई किसे अच्छी लगती है ? कौन अकेला रहना पसंद करता है ? कौन है जिसे महफिले जानां से बैर हो ? शायद कोई नही .हर किसी को किसी की तलब ज़रूर है , कोई हमनवा , कोई हमसफ़र ,कोई हम प्याला कोई हमनिवाला हर साँस लेते इंसान की ज़रूरत है. कोई किसी सच्चे दोस्त की तलाश में है तो कोई किसी महबूब और कोई महबूबा का तलबगार है । किसी को दिलरुबा के बाहों के घेरे चाहिए तो कोई महबूब के कुशादा बाजुओं की जन्नत का तालिब है । कोई महबूबा के रुखसार और होंट को देख कर जीना चाहता है तो कोई उस की हर अदा को ग़ज़ल बना कर , उसे लफ्जों का पैरहन देकर हमेशा अपने हमराह रखना चाहता है। कोई उस की मदहोश आंखों का परिस्तार बनना चाहता है तो कोई उस की बदमस्त और अल्लहड़ पलकों में अपने नाम के सपने देखने का शौकीन है। कोई उस की घनेरी जुल्फों के साए में मई जून की गर्मियां बिताना चाहता है तो कोई उस की साँसों की गर्मी में डूब कर अपनी फरवरी गुजारना चाहता है। बड़े हिम्मत वाले होते है वो जो इस मकसद को हासिल करने के लिए आगे क़दम बढ़ते हैं , मगर एक तलख सच्चाई ये भी है की हर कोई किसी से ताल्लुकात बनाने में इतना जल्दबाज़ नही होता , अगर किसी को महबूब को पाने की खुशी इस जानिब बढ़ने की तरफ़ उभारती है तो कोई उसे पाकर खो देने के खौफ से उसे पाने के लिए क़दम न बढ़ा कर पीछे हट जाता है और फिर तसौउरात में उसी के यादों में खो कर अपनी पूरी ज़िन्दगी खुशी खुशी गुजार देता है ।

6 comments:

ओम आर्य said...

bahut hi sahi likha gaya yah lekh ........par kabhi kabhi in talab ke wajah se aadmi tanha vi ho jata hai

Unknown said...

umda baat !

Udan Tashtari said...

सत्य वचन!

Sonalika said...

kya baat hai
bahut kuch sochana pad raha hai
yu hi ya koi khas baat hai

M VERMA said...

आपकी चाहतों की फेहरिस्त बहुत खूबसूरत है

vikas vashisth said...

bahut khoob kaha janab hum dua karte hain k gadya me jo padyatmak laya hai vo sada bani rahe auj tum sahitya k kisi ek alankar ki tarah chamko aur sahitya ko samarpit raho.