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सोचा तो है
जैसे बादल सूरज को
जैसे चाँदनी चाँद को
जैसे माली बाग़ को
जैसे पानी दरया को
जैसे हिरन जंगल को
जैसे मोर वन को
जैसे आँख बदन
जैसे फूल चमन को
जैसे आंधी काली घटा को
जैसे दर्द दवा को
जैसे चील फिजा को
जैसे शमा सहर को
चाहती है
हम भी चाहेंगे
पर
कोई ऐसा रिश्ता बने तो
कोई ऐसा मिले तो ...
6 comments:
कोई ऐसा रिश्ता बने तो
कोई ऐसा मिले तो ...
बहुत सुन्दर भाव. सुन्दर रचना
बहुत खुब लिखा है .......सही है ऐसा रिश्ता मिलना भी चाहिये ........सुन्दर अभिव्यक्ति
kya khoobsoorat mano bhav hain .......sach koi aisa rishta mile to..........chahat ka khoobsoorat rang.
कोई ऐसा रिश्ता बने तो
कोई ऐसा मिले तो ...
लाजवाब रचना...सच्चा साथी मिलना बहुत मुश्किल काम है...
नीरज
meri dua hai tumhare sath jald hi mil jayega koi aisa
बहुत सी उपमाएं एक साथ लिख दी हैं...दुआ है कि जल्द ही कोई ऐसा रिश्ता आपको मिले... खूबसूरत रचना .बधाई
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