
आज जब की सारे दोस्त बधाई और हैप्पी बर्थ ड़े का पैगामभेज रहे है, साहिर की नज़्म के ये कुछ जुम्ले मेरी जबानपर खुदबखुद रेंगने लगे है।
ये ऊँचे ऊँचे मकानों की देवड़ीयों के बताना या कहना
हर काम पे भूके भिकारीयों की सदा
हर एक घर में अफ़्लास और भूक का शोर
हर एक सिम्त ये इन्सानियत की आह-ओ-बुका
ये करख़ानों में लोहे का शोर-ओ-गुल जिस में
है दफ़्न लाखों ग़रीबों की रूह का नग़्मा
ये शरहों पे रंगीन साड़ीओं की झलक
ये झोंपड़ियों में ग़रीबों के बे-कफ़न लाशें
ये माल रोअद पे करों की रैल पैल का शोर
ये पटरियों पे ग़रीबों के ज़र्दरू बच्चे
गली गली में बिकते हुए जवाँ चेहरे
हसीन आँखों में अफ़्सुर्दगी सी छाई हुई
ये ज़ंग और ये मेरे वतन के शोख़ जवाँ
खरीदी जाती हैं उठती जवानियाँ जिनकी
ये बात बात पे कानून और ज़ब्ते की गिरफ़्त
ये ज़ीस्क़ ये ग़ुलामी ये दौर-ए-मजबूरी
ये ग़म हैं बहुत मेरी ज़िंदगी मिटाने को
कुछ ऐसी ही हाल है हमारी इस सोने की चिडिया का भी। हर तरफ बेयकीनी की सूरतेहाल है, मुस्तकबिल का कोई भरोसा नही कि जिंदगी किसी अच्छे मकाम तक जाएगी भी या नही, जम्हूरियत की खोखली बुनियादों ने सपने पालने का भी हक छीन लिया है, दर्द, आंसू, आह, कड़वाहटें, तलख़ियां जैसी सौगातें बांट रहा है हिन्दुस्तान। भुकमरी, गरीबी, सूखा, मंहगाई और हर वक्त अपने आप को खो देने का खौफ है, हर तरफ सिसकियो और रोने की आवाज़ें पहरा दे रही है। मेरे चारों तरफ खौफनाक माहौल है... ऐसे में कौन काटे केक और कौन सेलिबरेट करे बर्थ ड़े।
16 comments:
अतिसुन्दर
अपने मुझे उलझन में डाल दिया।
इस पोस्ट का टाईम स्टैम्प बता रहा 17 अप्रैल 2009 और आज है 1 सितम्बर 2009 !
आपका जनमदिन कब है भई!?
बधाई के पहले पूछना पड़ता है :-)
बोहोत खूब ...लेकिन इस देशको गर बदहाल बनाया तो जयचंद ,या जाफ़र जैसे लोग भी ज़िम्मेदार थे..जिन्हें अपना ज़मीर ना था.. ..क्यों न हम मिलके एक प्रण करें ..हमसे जितना हो सकता है ,उतना हम करें ,कि , मुल्क कम बदहाल हो ?अपना जनम सफल करें?
आपको साहिर कि नज़्म याद आ गई ..मुझे फैज़ अहमद फैज़ की नज़्म :
"आईये हाथ उठायें हमभी ,
हम ,जिन्हें रस्मो दुआ याद नही ,
रस्मे मुहोब्बत के सिवा ,
कोई बुत, कोई ख़ुदा याद नही ,
आईये ...."
अनेक शुभ कामनाएँ ...भावी जीवन के लिए..!
pahle badhai dene ke liye sab ka shukriya
B S Pablaa ji mera birthday 1 sep hai . 17april theme ki kuch kharabi ki wajah se hai..
ये हुई ना बात!
बधाई आपको हमने दे दी, पूरे ब्लॉग जगत को भी दे दी देखिए http://janamdin.blogspot.com/2009/09/blog-post.html
गज़ब.............
साहिर की कलम को सलाम
साहिर के कलाम को सलाम !
वाह .............
बहुत ख़ूब नज़्म
बहुत ख़ूब!
Badhiya Kavita..
aur Badahyi bhi swikare.
जन्म दिन की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाऐं.
many many happy returns of the day....
जन्म दिन की बहुत-बहुत-बहुत शुभ कामनाएं
Happy Birth Day
क्रियेटिव मंच
Janmdin ki badhaayee.
( Treasurer-S. T. )
जन्मदिन मुबारक हो
खुशियाँ आपके कदम चूमें
मैनी हैप्पी रिटर्न्स आफ दि डे
zamane ka dard hai....achchhi abhivyakti....badhai
The post carry many mistakes. Beside spelling mistakes, there are mistake which changes the meaning and/or sentence becomes meaningless. So much you are writing, but I request that editing must be done before publishing your post. I am a fan of Sahir. Thanks.
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