
क्या तुम जानते हो तुम्हारे इंतज़ार में कितने सूरज डूब गए....... कितने लोग इस साहिल पर आए और घंटों बातें करके चले गए........ पानी की कितनी लहरों ने तुम्हारा नाम ले कर मुझे छेड़ा है......... कितने लोग तुम्हारा नाम लेकर मुझ पर हंस कर अपनी राह लग लिए ....क्या तुम को याद है की कितने देर के लिए तुम यहाँ से गए थे ....... शायद नही ...पर मैं तो अब तक तुम्हारी राह देख रही हूँ ..... काश तुम उन अनदेखे पानियो की तरफ़ से लौट आओ .......शायद समंदर के किनारे रे़त पर बैठी वह लड़की भी दूर से आती लहरों को देख कर यही कुछ सोच रही थी....