पाने को तो बहुत कुछ है
पर तुमसा कुछ पाना चाहता हूं
मुस्कुराते हुए लब
मस्ती में डूबी निगाहें
और गालों पर फैली थोड़ी सी लाली
पाने को तो बहुत कुछ है...
एक मुठ्ठी खुशियां
उम्र भर का तुम्हारा साथ
और एक क़तरा कामयाबी
पाने को तो बहुत कुछ है...
आवारा बादलों का एक टुकड़ा
चांद पर छोटा सा आशियां
और ज़िंदगी में बहुत कुछ कर गुज़रने का साहस
पाने को तो बहुत कुछ है
पर तुमसा कुछ पाना चाहता हूं....
20 comments:
nice ghazal
kaya kamal ki gazal hai.
achhi kavita
abhaar !
खूबसूरत अभिव्यक्ति
खूबसूरत रज़ी भाई...
razi sahab apki jitni ghazale padti hu dil ko chhu jati ha...ye bhi bohot khubsurat ha...
bahut khoobsurt
mahnat safal hui
yu hi likhate raho tumhe padhana acha lagata hai.
or haan deri ke liye sorry.
bahut khoob...
क्योंकि तुमको पाकर सब मिल जायेगा ....
पाने को तो बहुत कुछ है
पर तुमसा कुछ पाना चाहता हूं....
बेशक जिन्दगी मे बहुत कुछ हो फिर भी किसी अपने की कमी खटकती है। बहुत अच्छी रचना । शुभकामनायें
very good.
मंगलवार 06 जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है आभार
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत खूबसूरत... आप की ख्वाहिश पूरी हो आमीन.............
अच्छे शब्द और भाव शब्द लिए आपकी रचना अप्रतिम है...बधाई...
नीरज
"पाने को तो बहुत कुछ है
पर तुमसा कुछ पाना चाहता हूं"
बहुत खूबसूरत. दिल को छू लेने वाली रचना..... बहुत खूब!
achcha andaaz !
इस्लाम में कंडोम अवश्य पढ़ें http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/2010/07/blog-post.html
अरे वाह ।आप तो कमाल का लिखते हैँ काफी दिन हो गये फटाफट नया लिख डालिये GOOD LUCK
bahut hi sundar va bhav vibhor kar dene sundar post.
poonam
बेशक जिन्दगी मे बहुत कुछ हो फिर भी किसी अपने की कमी खटकती है। बहुत अच्छी रचना । शुभकामनायें
hummm....nice shaab...
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