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Saturday 30 January 2010

...यतीम हो जाएँगी


दिल तो करता ही
कि तुम्हारी
सियाह ज़ुल्फों तले
सारे सपने
तमाम ख़्वाब
हर आरज़ू और
सारी चाहतें रख कर
सो जाएं
मगर फिर
ख़्याल आता है कि
अगर तुम ने भी
औरों की तरह
इन्हें सहारा ना दिया तो
रूह साथ छोड़ देगी
और फिर
ये सारी मासूम आरज़ुएं
यतीम हो जाएंगी

18 comments:

Sonalika said...

khoobsurt rachana

M VERMA said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ख्वाबो का यतीम होना --- वाह क्या बात है!

अमृत कुमार तिवारी said...

सहाब साहब पानी में डूबने के डर अगर सताए तो आदमी तैरना कभी नहीं सिखेगा। किनारे पर खड़े रहने से मुनासिम होगा कि पानी में कूद लिया जाए।...
अच्छी रचना।।।।।

निर्मला कपिला said...

आदमी की आर्जुयें तो अकसर यतीम ही रहती हैं क्योंकि एक के बाद दूसरी----- सिलसिला चलता ही रहता है --- रचना बहुत सुन्दर है भावमय है शुभकामनायें

seema gupta said...

very emotional touch...

regards

निर्मला कपिला said...

आज दोबारा से पढने आ गयी रचना इतनी अच्छी लगी। शुभकामनायें

कडुवासच said...

.... प्रभावशाली रचना !!!

فضل الرحمن said...

urdu ka writer kab se hindi ka writer ho gaya? excelent, very nice jod ,carry on , go ahead.
with best wishes

रश्मि प्रभा... said...

achhi rachna

कंचन सिंह चौहान said...

wallaaah...

kya khoob likha hai

Parul kanani said...

badi adawat se keh dala...very nice :)

Harshvardhan said...

najm achchi lagi.........

प्रिया said...

yakeenan khoobsoorat hai

Anonymous said...

"ये सारी मासूम आरज़ुएं
यतीम हो जाएंगी"
बहुत खूब

kshama said...

मगर फिर
ख़्याल आता है कि
अगर तुम ने भी
औरों की तरह
इन्हें सहारा ना दिया तो
रूह साथ छोड़ देगी
और फिर
ये सारी मासूम आरज़ुएं
यतीम हो जाएंगी
Sundar shabdon me dhali rachana!

पूनम श्रीवास्तव said...

ek dil se nikali awaaj jo dil ko andar tak jhkjhor gayee.
ek marmsparshi kavita .

poonam

Alpana Verma said...

kya baat hai!
bahut achche khyaal hain.

संजय भास्‍कर said...

--- रचना बहुत सुन्दर है भावमय है शुभकामनायें