कि तुम्हारी
सियाह ज़ुल्फों तले
सारे सपने
तमाम ख़्वाब
हर आरज़ू और
सारी चाहतें रख कर
सो जाएं
मगर फिर
ख़्याल आता है कि
अगर तुम ने भी
औरों की तरह
इन्हें सहारा ना दिया तो
रूह साथ छोड़ देगी
और फिर
ये सारी मासूम आरज़ुएं
यतीम हो जाएंगी
सियाह ज़ुल्फों तले
सारे सपने
तमाम ख़्वाब
हर आरज़ू और
सारी चाहतें रख कर
सो जाएं
मगर फिर
ख़्याल आता है कि
अगर तुम ने भी
औरों की तरह
इन्हें सहारा ना दिया तो
रूह साथ छोड़ देगी
और फिर
ये सारी मासूम आरज़ुएं
यतीम हो जाएंगी
18 comments:
khoobsurt rachana
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ख्वाबो का यतीम होना --- वाह क्या बात है!
सहाब साहब पानी में डूबने के डर अगर सताए तो आदमी तैरना कभी नहीं सिखेगा। किनारे पर खड़े रहने से मुनासिम होगा कि पानी में कूद लिया जाए।...
अच्छी रचना।।।।।
आदमी की आर्जुयें तो अकसर यतीम ही रहती हैं क्योंकि एक के बाद दूसरी----- सिलसिला चलता ही रहता है --- रचना बहुत सुन्दर है भावमय है शुभकामनायें
very emotional touch...
regards
आज दोबारा से पढने आ गयी रचना इतनी अच्छी लगी। शुभकामनायें
.... प्रभावशाली रचना !!!
urdu ka writer kab se hindi ka writer ho gaya? excelent, very nice jod ,carry on , go ahead.
with best wishes
achhi rachna
wallaaah...
kya khoob likha hai
badi adawat se keh dala...very nice :)
najm achchi lagi.........
yakeenan khoobsoorat hai
"ये सारी मासूम आरज़ुएं
यतीम हो जाएंगी"
बहुत खूब
मगर फिर
ख़्याल आता है कि
अगर तुम ने भी
औरों की तरह
इन्हें सहारा ना दिया तो
रूह साथ छोड़ देगी
और फिर
ये सारी मासूम आरज़ुएं
यतीम हो जाएंगी
Sundar shabdon me dhali rachana!
ek dil se nikali awaaj jo dil ko andar tak jhkjhor gayee.
ek marmsparshi kavita .
poonam
kya baat hai!
bahut achche khyaal hain.
--- रचना बहुत सुन्दर है भावमय है शुभकामनायें
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