Pages

Saturday 1 January 2011

नए साल पर


नए साल पर जलाई गईं

हज़ारों फुलझडियां

दाग़े गए

हज़ारों पठाके

नशे में धुत हो कर

नाचा पूरा जहान

मगर

चौराहे के उस सूखे पीपल के नीचे

वो बूढ़ा आज रात भी

अपनी मरी हुई लाग़र सांसों से

बुझती आग को जलाने की कोशिश में

ठिठुर ठिठुर का रात गुज़ार दिया

क्यों नहीं सुनाई दे रही हैं दुनिया को

उसकी मरी हुई खांसने की धमक!!!!

6 comments:

vandana gupta said...

बेहद मार्मिक चित्रण कर दिया।
नव वर्ष की आपको और आपके पूरे परिवार को हार्दिक शुभकामनायें

शबनम खान said...

kam se kam aapko aisa soche hue dekh bohot achha laga razi sahab...

सदा said...

बेहद मार्मिक प्रस्‍तुति ...।


नववर्ष की शुभकामनायें ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

संवेदनशील रचना ...

नव वर्ष की शुभकामनाएँ

रश्मि प्रभा... said...

kai baar padha ...
नए साल पर जलाई गईं हज़ारों फुलझडियां दाग़े गए हज़ारों पठाके नशे में धुत हो कर नाचा पूरा जहान मगर चौराहे के उस सूखे पीपल के नीचे वो बूढ़ा आज रात भी अपनी मरी हुई लाग़र सांसों से बुझती आग को जलाने की कोशिश में ठिठुर ठिठुर का रात गुज़ार दिया क्यों नहीं सुनाई दे रही हैं दुनिया को उसकी मरी हुई खांसने की धमक!!!!
kaun sunega patakhon ki shor me? aur kyun? isme masti kaha hai

अमृत कुमार तिवारी said...

दुनियां की धमक में गरीबों का दर्द हमेशा से हाशिए पर रहा है...