
नए साल पर जलाई गईं
हज़ारों फुलझडियां
दाग़े गए
हज़ारों पठाके
नशे में धुत हो कर
नाचा पूरा जहान
मगर
चौराहे के उस सूखे पीपल के नीचे
वो बूढ़ा आज रात भी
अपनी मरी हुई लाग़र सांसों से
बुझती आग को जलाने की कोशिश में
ठिठुर ठिठुर का रात गुज़ार दिया
क्यों नहीं सुनाई दे रही हैं दुनिया को
उसकी मरी हुई खांसने की धमक!!!!
6 comments:
बेहद मार्मिक चित्रण कर दिया।
नव वर्ष की आपको और आपके पूरे परिवार को हार्दिक शुभकामनायें
kam se kam aapko aisa soche hue dekh bohot achha laga razi sahab...
बेहद मार्मिक प्रस्तुति ...।
नववर्ष की शुभकामनायें ।
संवेदनशील रचना ...
नव वर्ष की शुभकामनाएँ
kai baar padha ...
नए साल पर जलाई गईं हज़ारों फुलझडियां दाग़े गए हज़ारों पठाके नशे में धुत हो कर नाचा पूरा जहान मगर चौराहे के उस सूखे पीपल के नीचे वो बूढ़ा आज रात भी अपनी मरी हुई लाग़र सांसों से बुझती आग को जलाने की कोशिश में ठिठुर ठिठुर का रात गुज़ार दिया क्यों नहीं सुनाई दे रही हैं दुनिया को उसकी मरी हुई खांसने की धमक!!!!
kaun sunega patakhon ki shor me? aur kyun? isme masti kaha hai
दुनियां की धमक में गरीबों का दर्द हमेशा से हाशिए पर रहा है...
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