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Monday, 9 August 2010

जब हम तन्हा तन्हा


तुम्हें कुछ सुनाना चाहता हूं

कुछ बातें, कुछ यादें

उन दिनों की

जब हम मिले नहीं थे

मैं ने तुम को देखा था

दूर सितारों की बज़्म में

चमकता हुआ, बिलकुल चांद जैसे

तुम्हें ढ़ूंढता था मैं

जब हम मिले नहीं थे

फूलों की ख़ुश्बुओं में

सर्दी की गुनगुनाती धूप में

गर्मी की बदन जलाती तेज़ हवाओं में

रिम झिम करती झूम कर आने वाली घटाओं में

मैं तुम्हें ढ़ूंढता था

जब हम मिले नहीं थे

रेतीले सहराओं में

कुहसारों और पहाड़ों में

मैं तुम्हें ढ़ूंढता था

जब हम मिले नहीं थे

दिलकश पाज़ेब की झंकारों में

मस्त आखों के मयखानों में

रेश्मी ज़ुल्फों और उल्झी लटों में

मैं तुम्हें ढ़ूंढता था

जब हम मिले नहीं थे

कोयलों की कू कू में

जंगल की तन्हाईओं में

अपनी सांसों की हरारत में

जलते लबों की प्यास में

मैं तुम्हें तलाश करता था

जब हम मिले नहीं थे

झील में उतरे चांद के अक्स में

क़तरा क़तरा टपकती ओस की बूंदों में

मैं तुम्हें ढ़ूंढता था

जब हम मिले नहीं थे

करवट करवट बदलती ज़िंदगी में

शाम को साथ चलने वाले साए में

मैं तुम्हें तलाश करता था

जब हम तन्हा तन्हा थे

11 comments:

kshama said...

करवट करवट बदलती ज़िंदगी में

शाम को साथ चलने वाले साए में

मैं तुम्हें तलाश करता था

जब हम तन्हा तन्हा थे
Kiase nazuk,komal khayal hain!

संजय भास्‍कर said...

बहुत कुछ लिख दिया आपने अब और क्या लिखूं
सुन्दर............

संजय भास्‍कर said...

पहली मुलाकात
हलकी हरारत
तेज़ धड़कन
आँखों में शरारत
बहुत कुछ शब्दों ने कहा. बाकी सब चित्र ने कह दिया.
वाह्

संजय भास्‍कर said...

apke do shabdon ka jadooooooooooo mujh p chadta hi ja raha hai ........me apki har rachna ka diwana ho cgaya hu

निर्मला कपिला said...

दिल की बातें अपने आप से करना भी कितना सुखद लगता है तो क्या तलाश अब पूरी हो गयी? अच्ची लगी रचना। बधाई शुभकामनायें।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर नज़्म ..मन के कोमल भावों को व्यक्त करती हुई...

Anonymous said...

bahut hi khoob..
acha laga pad kar....

Meri Nayi Kavita aapke Comments ka intzar Kar Rahi hai.....

A Silent Silence : Ye Kya Takdir Hai...

Banned Area News : Promising results of gene therapy to treat eye diseases

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मंगलवार 17 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपका इंतज़ार रहेगा ..आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार

http://charchamanch.blogspot.com/

vandana gupta said...

वाह्……………गज़ब का अन्दाज़ -ए- बयाँ है।

SaLMaN FaiSaL said...

sfGreat Razi

ye kis ki takhleeq hai...........?

Ilike it

Razi Shahab said...

ye to main ne hi likhi hai bhai... is blog par meri hi takhleeqat hain