कुछ बातें, कुछ यादें
उन दिनों की
जब हम मिले नहीं थे
मैं ने तुम को देखा था
दूर सितारों की बज़्म में
चमकता हुआ, बिलकुल चांद जैसे
तुम्हें ढ़ूंढता था मैं
जब हम मिले नहीं थे
फूलों की ख़ुश्बुओं में
सर्दी की गुनगुनाती धूप में
गर्मी की बदन जलाती तेज़ हवाओं में
रिम झिम करती झूम कर आने वाली घटाओं में
मैं तुम्हें ढ़ूंढता था
जब हम मिले नहीं थे
रेतीले सहराओं में
कुहसारों और पहाड़ों में
मैं तुम्हें ढ़ूंढता था
जब हम मिले नहीं थे
दिलकश पाज़ेब की झंकारों में
मस्त आखों के मयखानों में
रेश्मी ज़ुल्फों और उल्झी लटों में
मैं तुम्हें ढ़ूंढता था
जब हम मिले नहीं थे
कोयलों की कू कू में
जंगल की तन्हाईओं में
अपनी सांसों की हरारत में
जलते लबों की प्यास में
मैं तुम्हें तलाश करता था
जब हम मिले नहीं थे
झील में उतरे चांद के अक्स में
क़तरा क़तरा टपकती ओस की बूंदों में
मैं तुम्हें ढ़ूंढता था
जब हम मिले नहीं थे
करवट करवट बदलती ज़िंदगी में
शाम को साथ चलने वाले साए में
मैं तुम्हें तलाश करता था
जब हम तन्हा तन्हा थे
11 comments:
करवट करवट बदलती ज़िंदगी में
शाम को साथ चलने वाले साए में
मैं तुम्हें तलाश करता था
जब हम तन्हा तन्हा थे
Kiase nazuk,komal khayal hain!
बहुत कुछ लिख दिया आपने अब और क्या लिखूं
सुन्दर............
पहली मुलाकात
हलकी हरारत
तेज़ धड़कन
आँखों में शरारत
बहुत कुछ शब्दों ने कहा. बाकी सब चित्र ने कह दिया.
वाह्
apke do shabdon ka jadooooooooooo mujh p chadta hi ja raha hai ........me apki har rachna ka diwana ho cgaya hu
दिल की बातें अपने आप से करना भी कितना सुखद लगता है तो क्या तलाश अब पूरी हो गयी? अच्ची लगी रचना। बधाई शुभकामनायें।
बहुत सुन्दर नज़्म ..मन के कोमल भावों को व्यक्त करती हुई...
bahut hi khoob..
acha laga pad kar....
Meri Nayi Kavita aapke Comments ka intzar Kar Rahi hai.....
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मंगलवार 17 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपका इंतज़ार रहेगा ..आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार
http://charchamanch.blogspot.com/
वाह्……………गज़ब का अन्दाज़ -ए- बयाँ है।
sfGreat Razi
ye kis ki takhleeq hai...........?
Ilike it
ye to main ne hi likhi hai bhai... is blog par meri hi takhleeqat hain
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