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Saturday 24 July 2010

हर शाम तुम्हारी यादों का इक दीप जलाता रहता हूं


हर शाम तुम्हारी यादों का इक दीप जलाता रहता हूं
जो नग़मे तुम ने गाए थे उनको ही गाता रहता हूं
हर आन तुम्हारे मिलने की चाहत सी मचलती रहती है
हर लम्हा तेरी पलकों से सायों की ज़रूरत रहती है
फिर दूर कहीं वीराने में आवाज़ सुनाई देती है
चाहत के इस पागलपन में आवाज़ का पीछा करता हूं
हर शाम तुम्हारी चाहत का इक दीप जलाता रहता हूं

जाड़ों की ठिठुरती रातें हों या कजरारे बरसात के दिन
तुम साथ नहीं हो ऐसे में मैं क्या जानूं सौग़ात के दिन
दिल साथ तुम्हारे रहता है और सांसें चलती रहती हैं
एहसास सताता रहता है और धडकन धडकती रहती है
उम्मीद तड़प कर उठती है तुझे पाने को ज़िद करती है
चाहत के इस पागलपन में जाने क्या क्या करता हूं
हर शाम तुम्हारी यादों का इक दीप जलाता रहता हूं
जो नग़मे तुम ने गाए थे उनको ही गाता रहता हूं

17 comments:

Amit Chandra said...

kaya khubsurat gazal hai. bahut khub

मिताली said...

बहुत से खूबसूरत एहसास लिए हुए है ये गज़ल... आभार...

Aruna Kapoor said...

...बेहद सुंदर गजल है ये...धन्यवाद!

संजय भास्‍कर said...

रोचक तथा प्रशंसनीय प्रस्तुति

रश्मि प्रभा... said...

yaadon ke deep aur ek geet......bahut hi badhiyaa

स्वाति said...

खूबसूरत एहसास...खूबसूरत गजल...

Parul kanani said...

amazing...amazing! :)

Sonalika said...

badhiya rachana.

Udan Tashtari said...

बहुत बेहतरीन!

हरकीरत ' हीर' said...

फिर दूर कहीं वीराने में आवाज़ सुनाई देती है
चाहत के इस पागलपन में आवाज़ का पीछा करता हूं
हर शाम तुम्हारी चाहत का इक दीप जलाता रहता हूं

waah....!!

viyog ras ka bahut hi khoobsurat geet .....!!

निर्मला कपिला said...

पूरी कविता ही बहुत अच्छी लगी। मगर ये पंम्क्तियाँ दिल को छू गयीर्
जाड़ों की ठिठुरती रातें हों या कजरारे बरसात के दिन
तुम साथ नहीं हो ऐसे में मैं क्या जानूं सौग़ात के दिन
दिल साथ तुम्हारे रहता है और सांसें चलती रहती हैं
एहसास सताता रहता है और धडकन धडकती रहती है
उम्मीद तड़प कर उठती है तुझे पाने को ज़िद करती है
चाहत के इस पागलपन में जाने क्या क्या करता हूं
हमेशा की तरह बहुत सुन्दर रचना है। शुभकामनअयें

Apanatva said...

bahut bahvpoorn gazal........aseem pyar samete hue.....

Poonam Agrawal said...

Beautiful blog ... well said Ga
zal ... All the best ... Keep on writing ...

रजनीश 'साहिल said...

मेरे व्यंग्य को सराहने का शुक्रिया।

यह गीत वाकई बहुत खूबसूरत रचना है।

Coral said...

चाहत के इस पागलपन में जाने क्या क्या करता हूं
हर शाम तुम्हारी यादों का इक दीप जलाता रहता हूं....

सुन्दर रचना ....

Unknown said...

bahut hi mrmashparsi kavita jo ki dil ki gahraiyon utar jati hai

Unknown said...

bahut hi mrmashparsi kavita jo ki dil ki gahraiyon utar jati hai