दफ्अतन तुम पे इक निगाह पड़ी
दिल की दुनिया को हार बैठे हम
ज़िंदगी थी मेरी अमानत-ए-गैर
वक्त रूख़्सत हुआ मोहब्बत का
अब के नफरत का दौर आया है
ज़िंदगी दर्द-ए-दिल को पूजती है
तुम से बिछड़े तो याद आया है
अब के फिर ना मिलें ख़्यालों में
ख़्वाब में रो के हम ने पाया है
दर्द, आंसू, फरेब, दगा
ज़ख़्म अनगिनत तुम से खाया है
फिर वही भूल हो गई उससे
गैर का ख़त मेरे नाम आया है
ज़िंदगी थी मेरी अमानत-ए-गैर
उसको तुम पर ही हार बैठे हम
####वक्त रूख़्सत हुआ मोहब्बत का
अब के नफरत का दौर आया है
ज़िंदगी दर्द-ए-दिल को पूजती है
तुम से बिछड़े तो याद आया है
अब के फिर ना मिलें ख़्यालों में
ख़्वाब में रो के हम ने पाया है
दर्द, आंसू, फरेब, दगा
ज़ख़्म अनगिनत तुम से खाया है
फिर वही भूल हो गई उससे
गैर का ख़त मेरे नाम आया है
26 comments:
umda............
दफ्अतन तुम पे इक निगाह पड़ी
दिल की दुनिया को हार बैठे हम
ज़िंदगी थी मेरी अमानत-ए-गैर
उसको तुम पर ही हार बैठे हम
Dono rachnaon me kasak aur dard bhara pada hai..
सुंदर रचना
दर्द, आंसू, फरेब, दगा
ज़ख़्म अनगिनत तुम से खाया है
फिर वही भूल हो गई उससे
गैर का ख़त मेरे नाम आया है
बहुत खूब....जज्बातों को बखूबी लिखा है
ज़िंदगी दर्द-ए-दिल को पूजती है
तुम से बिछड़े तो याद आया है
अब के फिर ना मिलें ख़्यालों में
ख़्वाब में रो के हम ने पाया है
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
ISI LIYE DOBARA CHALA AAYA...
aap sabhon ka hausla afzai ke liye shukriya
razi shahab
bahut behtreen lekhan hai apka
achi rachana'
shukriya.
लाजवाब प्रस्तुति
बहुत बढ़िया है भाई ...
बहुत ही सुन्दर और लाजवाब रचना! बधाई!
बहुत सुन्दर रचना.
kya baat hai...
gaer ka khat mere naam...
wah wah wha
http://liberalflorence.blogspot.com/
http://sparkledaroma.blogspot.com/
फिर वही भूल हो गई उससे
गैर का ख़त मेरे नाम आया है
bahut koob kha hai,
Khatt to vo azeez patar hain jo baar-baar pad kar bhee nae lagte hai.
Mubarak! aap ko khatt to aya, chahe gaer ka hee sahee.
Hardeep
Bahut badhiya
बहुत ही मार्मिक रचना है।
bohot dino baad aj apka blog khona hua...pichle kuch dino ki apki sari rachnaye padhi...sach me...kitna khubsurat likhte ha aap...khaskar vo untitled rachna...dil ko chu gayi...bohot accha laga padhke....aise hi likhte rahiye....
संवेदी रचना... साधुवाद..
Kya bhaiyaa,
Andar se likhi hai ek dum....
Chitthi aayee par galat address par!
Mazak ko darkinar karein, mujhe muaaf karein, behad umda likha hai aapne, daad hazir hai kubool karein!
achha izhaare khyaal.......
फिर वही भूल हो गई उससे
गैर का ख़त मेरे नाम आया है
क्या गै भी खत लिखते हैं वाह बहुत खूब शुभकामनायें
वाह...बहुत खूब....
kya baat hia...maja aa gaya :)
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http://sparkledaroma.blogspot.com/
wahhhh
वक्त रूख़्सत हुआ मोहब्बत का
अब के नफरत का दौर आया है
ज़िंदगी दर्द-ए-दिल को पूजती है
तुम से बिछड़े तो याद आया है
अब के फिर ना मिलें ख़्यालों में
ख़्वाब में रो के हम ने पाया है
दर्द, आंसू, फरेब, दगा
ज़ख़्म अनगिनत तुम से खाया है
फिर वही भूल हो गई उससे
गैर का ख़त मेरे नाम आया है..
behadd umda.dil ko chhoo gayi aaapki ye rachna.
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