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Wednesday, 2 December 2009

मैं तुम बिन अधूरी हूं


मुसलसल ख़्वाब आते हैं

सूरज अपना सफर तय करके

अपने घर आराम करने जा रहा है

कोई पागल , दीवानी

बाल खोले, नन्गे क़दम, दीवानावार

तपती रेत पर सरपट भाग रही है

दुपट्टा उसके सर से होता हुआ

कांधे पर आ कर लटक गया है

उसकी बालियां कानों में झूला झूल रही है

उसके होंट प्यास से सूख गए हैं

उनकी सुर्खी कहीं गायब हो गई है

रेशमी ज़ुल्फों पर धूल की तह जम रही है

आंखों में रेत के हज़ारों ज़र्रे गड़ रहे हैं

रूखसारों पर आंसू के कतरों और

रेत के टुक्डों ने ज़ख्म का सा निशान बना दिया है

वह एक हाथ आगे बढ़ाए हुए है

ऐसा लग रहा है किसी को रोकने की कोशिश कर रही है

मुंह खुला हुआ है

ज़रा क़रीब जा के देखा

शक्ल और साफ हो गई

मगर

अब कुछ आवाज़ें भी सुनाई दे रही थी

‘‘सुनो साजन

तुम मत जाओ

मैं तुम से कुछ नहीं मांगूंगी

सुनो

लौट आओ

अब मुझे चूड़ी, कंगन

मेंहदी, बिंदिया

अफशां, लाली

कुछ नहीं चाहिए

सुनो

बस तुम लौट आओ

मैं तुम से कुछ नहीं मांगूंगी

सुनो साजन

मेरा हर सिंगार तुम हो

और मैं तुम बिन अधूरी हूं ’’

13 comments:

Dr. Vimla Bhandari said...

मैं तुम बिन अधूरी हूं
बस तुम लौट आओ
बहुत गहरा अह्सास.....मन को भिगो गया.

निर्मला कपिला said...

बस तुम लौट आओ

मैं तुम से कुछ नहीं मांगूंगी

सुनो साजन

मेरा हर सिंगार तुम हो

और मैं तुम बिन अधूरी हूं ’’
बहुत भावनात्मक अभिव्यक्ति है तडप का एहसास है शुभकामनायें

अनिल कान्त said...

बहुत ही भावनात्मक है
अच्छी कविता है

kshama said...

Dard se sisaktee rachna..

vandana gupta said...

dard hi dard samaya hai........bahut sundar.

M VERMA said...

बस तुम लौट आओ
मैं तुम से कुछ नहीं मांगूंगी
सुनो साजन
मेरा हर सिंगार तुम हो
और मैं तुम बिन अधूरी हूं ’’
मनुहार की बहुत सुन्दर रचना

जोगी said...

waah....good one dear

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

bahut bhavatmak rachna hai.....marmsparshi.....badhai

Sonalika said...

bhut khoobsurt abhiwakti hai
kaise samajh lete ho etna kuch
behtreen rachana.

शबनम खान said...

रज़ी जी आपकी इस रचना ने तो मुझे निशब्द कर दिया है....
शुक्रिया....

शबनम खान said...

रज़ी जी आपकी इस रचना ने तो मुझे निशब्द कर दिया है....
शुक्रिया....

अमृत कुमार तिवारी said...

बस तुम लौट आओ
मैं तुम से कुछ नहीं मांगूंगी
सुनो साजन
मेरा हर सिंगार तुम हो
और मैं तुम बिन अधूरी हूं ’’

देवता नि:शब्द कर दिए....

संजय भास्‍कर said...

मेरा हर सिंगार तुम हो
और मैं तुम बिन अधूरी हूं ’’
मनुहार की बहुत सुन्दर रचना