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Thursday 23 September 2010

आवाज़ें आती हैं....



सन्नाटों को चीर कर
आवाज़ें आती हैं
मत ताको नील गगन के चंदा को
मोती की तरह बिखरे सितारों को
देखो वह दूर परबत से लगे
झोंपड़े पर जहां
टिमटिमा रहा है इक दिया
बुढ़िया दुखयारी ठंड़ से
थर थर कांप रही है !

हां, आवाज़ें आती हैं
बारिश की बूंदों के शोर को दफ्न करके
तुम झूम रहे हो
अंबर का अमृत पी कर
वह दोखो,
फूस का छोटा सा इक घर
भीग गया है इन बौछारों से
और दहक़ां का कुंबा
घर से पानी काछ रहा है

सुनो !
बीत गए वह दिन
जब तुम अपने आप में सिमटे होते थे!!!

(दहक़ां : kisan)

18 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

गरीब का दर्द ...संवेदनशील रचना ..

संजय भास्‍कर said...

बहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...

daanish said...

बीत गए वह दिन
जब तुम अपने आप में सिमटे होते थे!!!

ज़िन्दगी की अस्लियत से रु.ब. रु करवाते हुए
आपके नेक विचार ....
काव्या के रूप में अनोखा आह्वान !!

आभार .

Apanatva said...

gahre ehsaas liye sunder abhivykti.

अजय कुमार said...

संवेदनशील रचना ।

Asha Lata Saxena said...

गहरा सोच लिए रचना
अच्छी प्रस्तुति |बधाई
आशा

वीना श्रीवास्तव said...

यही यथार्थ है....

महेन्‍द्र वर्मा said...

सुंदर भावों से ओत-प्रोत अच्छी कविता

उपेन्द्र नाथ said...

bahoot hi gahre jazbat..........

ZEAL said...

.

Gone are the days.....So true !

Lovely creation !

.

Urmi said...

बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने ! दिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ!

Anonymous said...

आप हमारे ब्लॉग पर आये और अपनी राय से नवाज़ा इसके लिए मैं तहेदिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ .......आपका ब्लॉग अच्छा लगा ....सुन्दर रचना लिखी है आपने .......शुभकामनाये |

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अरुण चन्द्र रॉय said...

"हां, आवाज़ें आती हैं
बारिश की बूंदों के शोर को दफ्न करके
तुम झूम रहे हो
अंबर का अमृत पी कर
वह दोखो,
फूस का छोटा सा इक घर
भीग गया है इन बौछारों से
और दहक़ां का कुंबा
घर से पानी काछ रहा है"... desh me kisano par bahut kam likha jaa raha hai.. aise me aapki kavita aakarship aur udwelit kar rahi hai... sunder aur maarmik kavita ke liye badhai..

मेरे भाव said...

झोंपड़े पर जहां
टिमटिमा रहा है इक दिया
बुढ़िया दुखयारी ठंड़ से
थर थर कांप रही है !..... marmik rachna... prakriti ke prabhav ka doosra pahloo hai yah.

sandhyagupta said...

अत्यंत सुन्दर और भावपूर्ण.शुभकामनायें.

Urmi said...

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है!बधाई!

Shaivalika Joshi said...

bahut hi gahri soch....

Urmi said...

आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत ही सुन्दर और शानदार रचना ! बधाई!