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Sunday, 29 August 2010

तुम ख़ुशी जो अगर चाहो तो कोई बात बने


धूप बढ़ जाती है हर रोज़ सरे शाम के बाद

तुम ज़रा ज़ुल्फ को लहराओ तो कोई बात बने


मैं तो हर सिम्त से तैय्यार हूं बर्बादी को

तुम मगर लूटने आओ तो कोई बात बने


दिल की हसरत ही ना मिट जाए कहीं मेरे सनम

चांदनी रात में आ जाओ तो कोई बात बने


वैसे हैं चाहने वाले तो बहुत दुनिया में

तुम मगर टूट के चाहो तो कोई बात बने


हम मोहब्बत का नहीं कोई सिला मांगें गे

तुम ख़ुशी जो अगर चाहो तो कोई बात बने


ऐसी तन्हाई है अब के कि ख़त्म होती नहीं

तेरी पाज़ेब छनक जाए तो कोई बात बने

18 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

वैसे हैं चाहने वाले तो बहुत दुनिया में
तुम मगर टूट के चाहो तो कोई बात बने

बहुत खूबसूरत ...

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (30/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com

अर्चना तिवारी said...

बहुत सुंदर, भावपूर्ण रचना

kshama said...

ऐसी तन्हाई है अब के कि ख़त्म होती नहीं

तेरी पाज़ेब छनक जाए तो कोई बात बने
Kitna nazuk,nafees khayal hai! Wah!

राणा प्रताप सिंह (Rana Pratap Singh) said...

बेहतरीन ग़ज़ल.....हर शेर अलग ताज़गी भरे हुए है|हां अंतिम शेर का काफिया थोडा भटका जरूर है|

Razi Shahab said...

Rana ji! aap ka bahut bahut shukriya ... aap ne meri kami ki taraf ishara kiya. tareefain to bahut mil jati hain magar Islah bahut kam log karte hain ... iske liye aap ka shukriya.

DR.ASHOK KUMAR said...

"तुम जरा जुल्फ को लहराओ तो कोई बात बने।" वाह क्या खूबसूरत ख्याल हैँ। आभार! -: VISIT MY BLOG :- गमोँ की झलक से जो डर जाते हैँ।............गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकते हैँ।

मिताली said...

bahut khoob... ek umda nazm ke liye shubhkaamnaayein...

रानीविशाल said...

वाह ! बेहद उम्दा ग़ज़ल .....
जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई .
टूटे तारों ने तो किस्मतों को सवाँरा है

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

ऐसी तन्हाई है अब के कि ख़त्म होती नहीं
तेरी पाज़ेब छनक जाए तो कोई बात बने

अच्छा लगा...

आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं!!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

भाई रज़ी शाहाब जी

सर्वप्रथम …
जन्म दिवस की
बहुत बहुत बधाई !
और शुभकामनाएं !!


ख़ूबसूरत नज़्म कही है …
धूप बढ़ जाती है हर रोज़ सरे शाम के बाद तुम ज़रा जुल्फ़ को लहराओ तो कोई बात बने
बहुत अच्छे !
मैं तो हर सिम्त से तैय्यार हूं बर्बादी को
तुम मगर लूटने आओ तो कोई बात बने

मुहब्बत का ये कमाल जज़्बा है तो बात कैसे नहीं बनेगी हुज़ूर ?
ज़रूर क़ामयाबी मिलेगी …
पुनः शुभकामनाएं !!

- राजेन्द्र स्वर्णकार

संजय भास्‍कर said...

रज़ी शाहाब जी को जनमदिन की बहुत बहुत बधाई!!

संजय भास्‍कर said...

रज़ी शाहाब जी को जनमदिन की बहुत बहुत बधाई!!

संजय कुमार चौरसिया said...

janmdin ki bahut bahut badhai

बहुत सुंदर, भावपूर्ण रचना

कविता रावत said...

वैसे हैं चाहने वाले तो बहुत दुनिया में
तुम मगर टूट के चाहो तो कोई बात बने
..bahut khoobsurat rachna..
Janamdin ki bahut bahut haardik badhai...

अनामिका की सदायें ...... said...

hairan hun mera comment kahan gayab ho gaya.

bahut ehsaaso se bhari gazal likhi hai.

bahut umda.

निर्मला कपिला said...

मैं तो हर सिम्त से तैय्यार हूं बर्बादी को

तुम मगर लूटने आओ तो कोई बात बने


वैसे हैं चाहने वाले तो बहुत दुनिया में

तुम मगर टूट के चाहो तो कोई बात बने
वाह वाह बहुत खूब। शुभकामनायें।

Richa P Madhwani said...

वैसे हैं चाहने वाले तो बहुत दुनिया में
तुम मगर टूट के चाहो तो कोई बात बने

sabhi lines khubsurat lagi
http://shayaridays.blogspot.com