मेरी पलकों पर जो सपने थे पल भर में चकनाचूर हुए
क्या ख़बर सुनाई ज़ालिम ने और हम ग़म से रनजूर हुए
क्या सोचा था इस बार अगर हम उनसे मिलने जाएंगे
हर वक्त हमारे साथ रहें कुछ ऐसे लम्हे लाएंगे
पर ख़ता हमारी थी शायद जो सपना पूरा हो न सका
क्या ख़बर सुनाई ज़ालिम ने हर सपना अपना टूटा था
मां बाप की हसरत रोती रही हर आस हमारी टूट गई
उम्मीद की इक हल्की सी किरन बस सामने मेरे बैठी थी
दामन पे हमारे दाग़ ना था फिर ऐसी सज़ा क्यों हम को मिली
हर वक्त यही दिल सोचा किया आंखें भी उसी के साथ रहीं
उस वादे का क्या करते हम जो उनसे लिया था पहले ही
उन नैनों को कैसे रूलाते हम जो खुशियां भूली बैठी थीं
कैसे ये कहते आएंगे ना हम इस बार रहेंगे तनहा ही
तुम ईद मना लो तनहा तनहा हम रो लेंगे तनहा ही
क्या ख़बर सुनाई ज़ालिम ने और हम ग़म से रनजूर हुए
क्या सोचा था इस बार अगर हम उनसे मिलने जाएंगे
हर वक्त हमारे साथ रहें कुछ ऐसे लम्हे लाएंगे
पर ख़ता हमारी थी शायद जो सपना पूरा हो न सका
क्या ख़बर सुनाई ज़ालिम ने हर सपना अपना टूटा था
मां बाप की हसरत रोती रही हर आस हमारी टूट गई
उम्मीद की इक हल्की सी किरन बस सामने मेरे बैठी थी
दामन पे हमारे दाग़ ना था फिर ऐसी सज़ा क्यों हम को मिली
हर वक्त यही दिल सोचा किया आंखें भी उसी के साथ रहीं
उस वादे का क्या करते हम जो उनसे लिया था पहले ही
उन नैनों को कैसे रूलाते हम जो खुशियां भूली बैठी थीं
कैसे ये कहते आएंगे ना हम इस बार रहेंगे तनहा ही
तुम ईद मना लो तनहा तनहा हम रो लेंगे तनहा ही
13 comments:
kya bhai
tum to dil dila hi dukha dete ho
meri dua hai tumhare sath tumri edd tanha nahi jayegi
bachche tumne likha acha hai
कैसे ये कहते आएंगे ना हम इस बार रहेंगे तनहा ही
तुम ईद मना लो तनहा तनहा हम रो लेंगे तनहा ही
बहुत बडिया लिखी है दिल की बात । चलो शायद हमारे आशीर्वाद का असर हो जाये तुम तन्हा नहीं रहोगे बेटा । शुभकामनायें
उम्दा लिखा है आपने, तंहाई जल्दी दूर हो दुआ करते हैं
बहुत उम्दा तुम तन्हा ईद न मनाना ....
dil ke jazbaat bahut khoobi se ukere hain.....shubhkamnayen
बहुत उम्दा!!
बहुत ही सुंदर और शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है! बधाई!
अच्छा। बहुत खूब। दिल दुख गया। बहुत खूब।
aise kaise razi sahab..hum aapko yu rote hue Eid nahi manane denge....
bohot dard bhare alfaz ha...
bohot khoob...
कैसे मनाने देंगे तुमको हम ईद तन्हा तन्हा
वो भी आएगा ज़रूर जिसने किया तुमको तन्हा
बहुत खूब...लेकिन सच कहें तन्हा तन्हा तन्हा तन्हा अच्छा नहीं लगता...रचना अच्छी है...
शुभ अभिवादन! दिनों बाद अंतरजाल पर! न जाने क्या लिख डाला आप ने! सुभान अल्लाह! खूब लेखन है आपका अंदाज़ भी निराल.खूब लिखिए. खूब पढ़िए!
बहुत ही मार्मिक रचना....
बस इक गम-ए-दौरां का हक है हम पर
मैने वो सांस भी तेरे लिए रख छोड़ी है....
बहुत ही शानदार लिखा है आपने...बहुत खूब।
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