मेरी रुसवाई तेरे काम आए
ज़िन्दगी कुछ तो मेरे काम आए
कुछ दिनों से यही चाहत है
उसका पैगाम मेरे नाम आए
उसको मिलते रहे खुशियों के सुराग
हर सिसकता हुआ गम मेरे नाम आए
मुद्दतें बीत गयी बिछडे हुए
वस्ल की फिर कोई रात आए
blog by a delhi based student
11 comments:
पैगाम तो आना ही है.
अच्छी रचना
सुन्दर भावार्थ वाली रचना
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1. चाँद, बादल और शाम
2. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
सुंदर ग़ज़ल...
कुछ दिनों से यही चाहत है
उसका पैगाम मेरे नाम आए ..bahut sunder....
बेहद ही सुन्दर लगे आपके भाव ......बहुत बहुत ही बधाई.......
बेहद ही सुन्दर लगे आपके भाव ......बहुत बहुत ही बधाई.......
अब रुसवाईयों से क्या डरें ?
जब तन्हाईयाँ सरे आम हो गयीं ?
खता तो नही की थी एकभी ,
पर सजाएँ सरे आम मिल गयीं ?
काम बनही गया,जो रुसवा कर गए,
ता-उम्र तन्हाई की सज़ा दे गए..!
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
Dil se aawaaz nikli hai bhaai.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
बेहतरीन।
accha likha hai
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