मैं तुझको आज़माऊँ तू मुझको आज़माए
ऐसा न हो ऐसे ही युँ उम्र गुज़र जाए
हर शब है अकेली हर शाम बहुत बोझल
तू आ कि ज़रा शाम की तन्हाई संवर जाए
आ मिल कि ज़रा देर को बातें तो करें हम
शायद कि रूके वक्त और चांद ठहर जाए
कब से हूँ तेरी राह में पलकें बिछाए
तू अपना गर समझे तो रूके वरना गुज़र जाए
ऐ काश कि हो जाए कभी अपना मिलन ऐसे
मैं तुझ में समा जाऊँ तू मुझ में पिघल जाए
अब हौसला भी झटकने लगा है ज़ब्त से हाथ
सैलाब न आ जाए कहीं आंख बरस जाए
16 comments:
सुंदर अभिव्यक्ति
अब हौसला भी झटकने लगा है ज़ब्त से हाथ
सैलाब न आ जाए कहीं आंख बरस जाए
बहुत सुन्दर लिखा है आपने ..शुक्रिया
बहुत ही खूबसूरती से लिखी है रचना।
बहुत ही ख़ूबसूरत अंदाज़
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1. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
2. चाँद, बादल और शाम
3. तकनीक दृष्टा
ऐ काश कि हो जाए कभी अपना मिलन ऐसे
मैं तुझ में समा जाऊँ तू मुझ में पिघल जाए
samay se dur lejaakar chhoda diya is rachana ne......bahut man bahawan lagi aapaki yah rachana .....aise hi likhate rahe
सुंदर अभिव्यक्ति....शुक्रिया
kya khoob likhte ho mitr.ati sundar
मैं तुझको आज़माऊँ तू मुझको आज़माए
ऐसा न हो ऐसे ही युँ उम्र गुज़र जाए,
bhavnaon se bhara sundar kavita..
aazmana to padega yaar
umar ko guzaarna to padega yaar
ye anubhav uhin milte nahi hai yaar
gazab ki ghazal................
dil khush kar diya...........
badhaai !
अब हौसला भी झटकने लगा है ज़ब्त से हाथ
सैलाब न आ जाए कहीं आंख बरस जा
मैं तुझको आज़माऊँ तू मुझको आज़माए
ऐसा न हो ऐसे ही युँ उम्र गुज़र जाए,
लाजवाब् बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई
Khoobsoorati bayaan karneke liye alfaaz nahee hain..!
वाह क्या खूब लिखा है है रज़ी भाई...वो आएं इस तरह कि हर शाम संवर जाए...
bhut khoobsurt
lafzo ki satah ke neeche ek dard sa hai,
khayaalo ki garmi ke peechhe kuchh sard sa hai....
hausala rakho aur aajmaao bhi khoob,
par yaad rakho,
ye 'mohabbat' lafz kuchh kamzarf sa hai..
aapko padhke bus ye panktiyaan nikal aayi dil ke kisi kone se..
ऐ काश कि हो जाए कभी अपना मिलन ऐसे
मैं तुझ में समा जाऊँ तू मुझ में पिघल जाए
क्या बात है बेहद खूबसूरत
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