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इक चेहरे पर दिल मरता है बस याद उसे ही करता है मैं याद में पागल रहता हों वो आंसू बन के टपकता है मैं बात किसी से करता हूँ वो दिल ही दिल में कुढ़ता है ठेस कोई दिल को जो लगे वो ज़ख्म पे मरहम रखता है जब गर्मी बदन जलाती है वो बादल बन के बरसता है
11 comments:
koi yadon ki tanhai me
chupke chupke siskata hai
बहुत ही बेहतरीन।
ठेस कोई दिल को जो लगे
वो ज़ख्म पे मरहम रखता है
वाह। बताया नही आपने फोटो कहाँ से लाते हो।
bahut sundar kavita bhee aur ladaki bhi bahut bahut aasheervaad
aapki kavita ki bhawnayein bahut hi khoobsurat hai. aur usse bhi jyada khoobsurat hai wo picture jo aapne lagayi hai
bahut hi khubsoorat khyal ke dhani hai aap.....bahut hi sundar lagi aapki rachana
दोनों ही बहुत अच्छे हैं
मैं याद में पागल रहता हों
वो आंसू बन के टपकता है
मैं बात किसी से करता हूँ
वो दिल ही दिल में कुढ़ता है
waah lajawab
दिल जज़्बाती हो गया
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गुलाबी कोंपलें · चाँद, बादल और शाम
aap sabhon ka bahut shukriya
sushil kumar ji main photo google images se leta hoon aap ne pahle hi poocha tha main bata na saka tha us ke liye maafi chahta hoon
बेहतरीन ..............! सुन्दर रचना !
ठेस कोई दिल को जो लगे
वो ज़ख्म पे मरहम रखता है
its just brilliant...
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