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Wednesday, 20 January 2010

वो यादें...

एक लम्बे वक्त से सुबह उठ कर देखता हूं, दो कबूतरों का जोड़ा मेरे कमरे के बाहर लगे पेड़ पर आ कर बैठता है, उस पर लटकी गागर से प्यास बुझाता है, दो चार बूंदें एक दूसरे के परों पर डालते हैं और फिर उड़ जाते हैं...ये रोज़ का खेल है, जैसे उनकी आदत सी हो गई थी...इस बीच मैंने उन्हें बहुत क़रीब से देखा था...उन्हें इठकेलियां करते हुए एक दूसरे को छेड़ते हुए...हां ये भी महसूस किया था कि उनमें से एक कबूतर हमेशा रूठता था और दूसरा उसे अकसर मना लिया करता था, वह उससे ऐसे मुंह फेर कर बैठ जाता था जैसे अब उससे कभी बात ही नहीं करेगा, मगर फिर उसकी इक मुहब्बत भरी नज़र दोनों की नाराज़गी ख़त्म कर देती थी...गले मिलते, बातें करते, छेड़ते और फिर उड़ जाते...इस रूठने मनाने को देख कर मन में एक अजीब सी खुशी महसूस होती थी...सोचता था कितना अच्छा रिश्ता है...कितना प्यार है दोनों के बीच...मगर ये सोच भी मेरे दिमाग के कोने में जन्म लेने लगी थी कि कहीं ऐसा ना हो कि किसी रोज़ इसका रूठना दोनों के रिश्तों में तलख़ियां ना पैदा कर दे और फिर वह किसी मनाने वाला के लिए रोने पर मजबूर हो...बहुत दिनों से दोनों नज़र नहीं आए थे...सोचता था कहीं दूर घूमने निकल गए हों मगर फिर एक दिन सुबह उठा तो देखता हूं वही रूठने वाला कबूतर अकेला पेड़ की टहनियों पर बैठा है... दूसरा कबूतर कहीं नज़र नहीं आ रहा है... और वह तन्हा बैठा आंसू बहा रहा है...क्योंकि शायद अब उसे उन इठखेलियों में मज़ा आने लगा था....

16 comments:

SACCHAI said...

" bahut hi badhiya post ...aapki is behatarin post ke liye aapko badhai "

----- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi badhiyaa

kshama said...

Behad achha nirikshan aur utnee hee badhiya post!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत मार्मिक और अच्छी पोस्ट ....दिल को छू गई....

vandana gupta said...

han yaadein aise hi tadpati hain.........bahut sundar post.

रंजू भाटिया said...

हम्म सही लिखा आपने ..अच्छी पोस्ट शुक्रिया

Sonalika said...

dil ko choo lene wali post. behtreen.

निर्मला कपिला said...

बेहद मर्मस्पर्शी रचना है। शायद किसी चीज़ का महत्व हम उस के खो जाने के बाद हे करते हैं । दिल को छूने वाली इस पोस्ट के लिये आभार और शुभकामनायें

अमृत कुमार तिवारी said...

सहाब साहब कबूतरों की कहानी ने इमोशनल बना दिया है।

Apanatva said...

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.......

श्रद्धा जैन said...

ek din shayad dar sach ho bhi jaaye
ek ruth jaaye yaa aage badh jaaaye
magar jitne din dono saath hai sukh hai ise jine dijiye
kyun future ki chinta kee jaaye

bahut sunder likhte hain aap

Anonymous said...

अच्छी रचना

kathan said...

prakriti ko itne kareeb se dekhte hain . unki bhavnaon ko samghte hai . jaan kar accha laga

Sanjeet Tripathi said...

boss. bahut hi touchy likhna hai aapne.

shubhkamnayein......

Chandrika Shubham said...

Nice story of a pair of birds. :)

arvind said...

bahut acchha likhate hai aap. subhakaamnaaye.