मेरी हसरतें मेरे साथ हैं मेरी आरज़ू कहीं और है
मुझे रास्ता मेरा मिल गया मेरी मंज़िलें कहीं और हैं
यहां कोई दर्द ना ग़म कोई नई आरज़ू नया जोश है
मेरी ज़िंदगी मेरे साथ चल मेरी धड़कनें कहीं और हैं
मेरी मान मेरे यार तू मुझे रोक ना बीच मोड़ पर
मुझे मंज़िलों का पता नहीं मेरा कारवां कहीं और है
मुझे मत सुना ये कहावतें मेरे हौसलों को ना तोड़ यूं
मेरे साथ मां की दुआएं हैं मेरे ख़्वाब भी कहीं और हैं
13 comments:
Razi sahab....ye naye sal me kis karwe me chal diye....manzilo ko yu n chodiye....
hmesha ki trha is nazm me bhi ek udaasi ha....par kahi n kahi d ek vishvaas ek umeed bhi kahi dikhti ha...
isi tarha likhte rahiye...
मेरे साथ मां की दुआएं हैं मेरे ख़्वाब भी कहीं और हैं
बहुत अच्छे राज़ी साहब
नया साल मुबारक हो
मुझे मत सुना ये कहावतें मेरे हौसलों को ना तोड़ यूं
मेरे साथ मां की दुआएं हैं मेरे ख़्वाब भी कहीं और हैं
nice
मुझे मत सुना ये कहावतें मेरे हौसलों को ना तोड़ यूं
मेरे साथ मां की दुआएं हैं मेरे ख़्वाब भी कहीं और हैं
-बहुत उम्दा!!
भाई बहुत बढ़िया लिखे है आप तो...अच्छा लगा..धन्यवाद जी!!
मेरी मान मेरे यार तू मुझे रोक ना बीच मोड़ पर
मुझे मंज़िलों का पता नहीं मेरा कारवां कहीं और है
बहुत बढ़िया लिखा है आपने ...शुक्रिया
मुझे मत सुना ये कहावतें मेरे हौसलों को ना तोड़ यूं
मेरे साथ मां की दुआएं हैं मेरे ख़्वाब भी कहीं और हैं..
kya gazab kee baat kahee...!
मित्र, आपकी ये रचना पढ़कर दिल में जोश और भावनाओं का सैलाब आ गया है। मन कर रहा है कि आपकी आफज़ाई में सिर्फ आपकी तारीफों के कसीदें पढ़ता रहूं।
मेरी मान मेरे यार तू मुझे रोक ना बीच मोड़ पर
मुझे मंज़िलों का पता नहीं मेरा कारवां कहीं और है
bahut khoob!
शुक्रिया रज़ी साहब
अच्छी ग़ज़ल है
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
मुझे मत सुना ये कहावतें मेरे हौसलों को ना तोड़ यूं
मेरे साथ मां की दुआएं हैं मेरे ख़्वाब भी कहीं और हैं
मेरी मान मेरे यार तू मुझे रोक ना बीच मोड़ पर
मुझे मंज़िलों का पता नहीं मेरा कारवां कहीं और है
एक एक शब्द दिल को छू गया हमेशा की तरह लाजवाब लिख रहे हो बधाई आशीर्वाद्
मेरी मान मेरे यार तू मुझे रोक ना बीच मोड़ पर
मुझे मंज़िलों का पता नहीं मेरा कारवां कहीं और है
bahut hi laazwaab .
bahut khubsurat.......
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