1
उनसे बिछडे हुए एक अरसा हुआ
उनको देखे हुए इक ज़माना हुआ
लोग कहते हैं हम उनके दीवाने हैं
वो शमा और हम उनके परवाने हैं
प्यार उनके लिए मेरी आंखों में है
मेरा दिल मेरी जान उनकी सांसों में है
वह संवरती थी हम को दिखाने की ख़ातिर
ऐसे चलती थी हम को लुभाने की खातिर
उसकी ज़ुल्फें थी मुझको सुलाने की ख़ातिर
उसकी आंखें थीं मुझको पिलाने की ख़ातिर
जिस्म उनका था बस मेरी बाहों की ख़ातिर
प्यार उसको मेरी हर अदाओं से था
2
मैंने ऐसा सुना तो अचंभा हुआ
मैंने सोचा की ये भूल कैसे हुई
कि
प्यार अपना सभों की नज़र में रहा
बस हम्हें इसकी कोई ख़बर न हुई
३
ये अलग बात हम भी शायद उसके दीवाने थे
प्यार हमको भी था और उसको भी था
पर हवस की कोई भी निशानी ना थी
लेकिन
दुनिया उसको कुछ और रूप देती रही
४
मैं ने देखा ख़ता इसमें मेरी ना थी
सारी दुनिया नशे में उसके मख़मूर थी
सब पे उसके ही जलवों की परछाईं थी
याद करना उसे उनकी मजबूरी थी
शायद वो उनके ख़्वाबों की ताबीर थी
नाम मेरा लिया, दिल को ठंड़ा किया
याद उसको किया, रूसवा मुझको किया
उनको देखे हुए इक ज़माना हुआ
लोग कहते हैं हम उनके दीवाने हैं
वो शमा और हम उनके परवाने हैं
प्यार उनके लिए मेरी आंखों में है
मेरा दिल मेरी जान उनकी सांसों में है
वह संवरती थी हम को दिखाने की ख़ातिर
ऐसे चलती थी हम को लुभाने की खातिर
उसकी ज़ुल्फें थी मुझको सुलाने की ख़ातिर
उसकी आंखें थीं मुझको पिलाने की ख़ातिर
जिस्म उनका था बस मेरी बाहों की ख़ातिर
प्यार उसको मेरी हर अदाओं से था
2
मैंने ऐसा सुना तो अचंभा हुआ
मैंने सोचा की ये भूल कैसे हुई
कि
प्यार अपना सभों की नज़र में रहा
बस हम्हें इसकी कोई ख़बर न हुई
३
ये अलग बात हम भी शायद उसके दीवाने थे
प्यार हमको भी था और उसको भी था
पर हवस की कोई भी निशानी ना थी
लेकिन
दुनिया उसको कुछ और रूप देती रही
४
मैं ने देखा ख़ता इसमें मेरी ना थी
सारी दुनिया नशे में उसके मख़मूर थी
सब पे उसके ही जलवों की परछाईं थी
याद करना उसे उनकी मजबूरी थी
शायद वो उनके ख़्वाबों की ताबीर थी
नाम मेरा लिया, दिल को ठंड़ा किया
याद उसको किया, रूसवा मुझको किया
8 comments:
waah..........behtreen nazm.
अच्छी नज़्म हैं
khoobsoorat nazm .... pyaar ko samajhna mushkil hota hai ...
razi sahab behad khubsurat nazm ha.....
bahut khoobsurat nazm.....badhai
kya kahu
hamesha ki tarah behtareen
likhate raho yu hi
tum per kisi ka asar ho gaya hai
kuch lete kyon nahi
रज़ी साहब आपने आवाज़ दी और हम चले आए... बहुत ख़ूबसूरत आपका ब्लॉग है.. लेकिन आप दर्द से इतना लबरेज़ क्यों हैं.. हां आपकी नज़्म में इतना दम था, कि मेरी आंखे भी हल्की सी नम हो गईं.. आपका ख़्वाब ज़रूर पूरा हो.. इसकी हम दुआ करेंगे...
प्यार अपना सभों की नज़र में रहा
बस हम्हें इसकी कोई ख़बर न हुई
बहुत खूब सुन्दर नज़म है बधाई
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