ज़िन्दगी मिल कि तेरे साथ ही चलना है हमें
पी के हर जाम तेरे साथ संभलना है हमें
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बन के शमा शबेतारीक में जलती ही रहो
बन के परवाना तेरी आग में जलना है हमें
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जागती आँखें जो थक जाएँ तो ये कह देना
चलो सो जाओ कि अब ख्वाबों में मिलना है हमें
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चैन लेने नही देती है मिलन की वो हसीं याद
फिर से बाहों में तेरी चैन से सोना है हमें
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चाहे जिस मोङ पे ले जाऐ कहानी अपनी
मेरा वादा है तेरे साथ ही जीना है हमें
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अपनी तुगयानी पे इतरा ना ऐ बहते दरया
बनके तूफान तेरी आग़ोश में पलना है हमें
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शबेतारीक(काली रात)-तुगयानी(तेज और ऊंची लहरें)-आगोश(बांह)
शबेतारीक(काली रात)-तुगयानी :(तेज़ ओर ऊँची लहरें )-आगोश(बांह)
15 comments:
दिल को छु लेनी वाली लाजवाब रचना। बधाई
razi shahab yakinan ye aajtak tumhari behtreen rachana hai, jeete raho bachche dil khush ker diya. bahut khoobsurt. abhi or bhi tarif karne ka ji chah raha hai per shabd nahi mil rahe. umda rachana.
अपनी तुगयानी पे इतरा ना ऐ बहते दरया
बनके तूफान तेरी आग़ोश में पलना है हमें
कितना तूफान होगा दिल मे जो तूफान बनकर लहरो के आगोश मे पलने की ख्वाहिश है. जरूरत भी तो इसी तूफान की है.
बहुत शानदार रचना
ख़ूबसूरत लगी . बहुत उम्दा
गणेश उत्सव पर्व की शुभकामनाये
उम्दा शायरी.................
वाह....
वाह !
अपनी तुगयानी पे इतरा ना ऐ बहते दरयाबनके तूफान तेरी आग़ोश में पलना है हमें***
बहेतरीन कलाम।
बहुत ही सुन्दर ख्याल है बन्धू..........बन के परवाना तेरी आग मे जलना है हमे.......
अच्छी रचना...सुंदर भाव..बधाई
बेहद ही खूबसूरत बेहद ही भावपूर्ण रचना। मित्र आपके मूंह से तो कई दफा शेर-ओ-शायरी सुना था। कम्बख्त ये भी ना जान सका कि ये सब आपके दिल की धरोहर हैं। आज जाना हूं....मैं खुद मार्मिक हो गया हूं। ......बस इंतजार रहेगा। आपके अगले पोस्ट का।
अमृत ....
वाह , दिल को छू गई
अपनी तुगयानी पे इतरा ना ऐ बहते दरया
बनके तूफान तेरी आग़ोश में पलना है हमें
लाजवाब मुझे तो आपकी हर रचना ही लाजवाब लगती है सुन्दर भावनात्मक आभिव्यक्ति बधाई
वाह! दिल को छू लेने वाली लाजवाब रचना...
बहुत ख़ूब
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वर्मा जी से सहमत हूँ ...भाषा पे आपकी पकड़ काबिले तारीफ़ है! ..!और वो भी ,बिना सरलता खोये ! कोमल एहसास बरक़रार रखते हुए!
bahut achhi hai, dil ko chhu lene wali
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